वैवाहिक जीवन में परेशानीयां
दक्षिण-पूर्व,उत्तर-पूर्व,दक्षिण-पश्चिम, दिशा में दोष होने के कारण आती हें.
लेकिन थोडा-बहुत वास्तु के उपाय कर के हम अपना जीवन सुधार सकते हें.वैवाहिक जीवन
में दक्षिण-पूर्व कोण सबसे ज्यादा असर दिखाता हें, यह कोण गर्म स्वभाव का होता हें
तथा शुक्र ग्रह इस कोण पर अधिकार रखता हें फिर शुक्र ग्रह के शादी के कारक ग्रह
होने से इस कोण का महत्त्व और भी बढ़ जाता हें.
१ – दक्षिण-पूर्व में गड्ढा होना, इस दोष के
कारण अचानक घर के मालिक में अग्नि तत्व की कमी हो जाती हें.इसके दूरगामी परिणाम
निकल सकते हें.घर की महिलायें ज्यादा घूमने फिरने लगती हें.इस कारण से घर में
क्लेश होने लगता हें.वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण-पूर्व का कोण यदि दूषित हें
तो घर के पुरुषों पर सबसे ज्यादा असर होता हें, खून सम्बन्धी रोग उत्पन्न होने
लगते हें.
२ – दक्षिण-पूर्व के कोण में यदि बोरिंग हो
तो अग्नि तत्व तथा जल तत्व का मेल होता हें जो कि परिवार में सदस्य आपस में ही
झगड़ा करने लगते हें.घर में खर्च बढ़ जाना,एक दूसरे में दोष निकालना आदि. तथा
नपुंसकता फैलती हें.
३ – दक्षिण-पूर्व कोण का बढ़ना ...इसका मतलब
हें कि अग्नि का बढ़ना. इससे मुकदमे की नौबत आ सकती हें.लोगों को अपना तमाशा आप
दिखा कर ही चैन आए.क्योंकि अग्नि जब भी जले सारे संसार को लपटें दिखा कर, गर्मी दे
कर शान्ति होती हें.इस कोने का बढ़ना अपने आप में एक श्राप हें,बिना किसी बात के
झगड़े,पति-पत्नी दोनों ही अशांत रहेंगे.उनके वैवाहिक जीवन को अस्त-व्यस्त कर देगा.यहां
पर एक सवाल खड़ा होता है,
कि अगर अग्नि बढ़ गयी तो सिर्फ घर का मर्द ही पराई महिलाओं
से मिलता हें,महिलायें क्यों नहीं ऐसा करती ?दरअसल इसका जवाब ज्योतिष शास्त्र में
हें.
अगर
महिला का शुक्र ग्रह अपनी राशि का यानि कि वृष या तुला का हें, या शुक्र मीन राशि
का हो कर उच्च का हें तो यह दोष के दुष्परिणामसे बच जाते हें.या कई बार ऐसा होता
हें कि यह दोष होने के बाद भी यह असर कभी-कभी आप पर ना आ कर बच्चों पर आता हें
क्योकि आपका अच्छा शुक्र आपको तो बचा जाता हें लेकिन आगे आने वाली पीढी मै अगर
शुक्र ठीक नहीं हें तो अग्नि से भला कौन बचा हें कभी ? फिर यह कहावत भी हें अगर आग
के पास जाओगे तो जरूर जलोगे अगर अपने आपको बचा भी लिया,सेंक तो फिर भी खाओगें.यह
कहावत यहां पर सिद्ध होती हें.
उपाय....
१ दक्षिण-पूर्व के गड्ढ़ों को भरकर उत्तर या
उत्तर-पूर्व से ऊँचे कर ले तथा मारूति यंत्र कि स्थापना कर दें ..
.
२ घर पर गाय (काले रंग की) पालें.या हर रोज
काले रंग की गाय को दही-चीनी डाल कर आटे का पेड़ा
सुबह-शाम डाले..
३ अपने कपडें हमेशा साफ़ रखें.परफ्यूम लगा कर
व इस्त्री कर के ही पहनें...
४ केतु ग्रह का कोई उपाय अवश्य करें. २
नींबू व दो केले बहते पानी में सोमवार व वृहस्पतिवार को अवश्य बहाए...
ज्योतिष विधान...
१२ वां घर व सातवां घर का मेल दिलाता है. दक्षिण-पूर्व एवं दक्षिण-पश्चिम कोण का ध्यान. १२वां घर बिस्तर के सुख आराम,
खर्चा, बिमारी का व औरत से शारीरिक सुख का हें.कोई भी पापी ग्रह यहाँ बैठा हो या
पापी ग्रह की नज़र हो तो इस घर को परेशान जरूर करेगी. आप न चाहते हुये भी अपने घर
पर उस पापी ग्रह की चीजे रखनी शुरू कर दोगे जैसा कि अगर राहू १२वें घर पर हें या
उसकी ७वीं, तीसरी, ११वीं नज़र १२वें घर पर हें तो आप इस कोने में बोरिंग, गड्ढे या
जूतें रखना या पानी का रखनाशुरू कर दोगे.अगर आप १२वें घर के मांगलिक हें तो
दक्षिण-पूर्व कोण बढ़ा कर लोगे.
उत्तर-पश्चिम कोण....
शुभमस्तु!!