ज्योतिष शास्त्र में मनुष्य के जीवन की समस्त घटनाओं को जानने के लिए हमारे ऋषि मुनियों ने तप और साधना कर जन्म कुंडली का साधन दिया उस जन्म कुंडली में नौ ग्रह, बारह राशियाँ तथा सत्ताईस नक्षत्रों का वर्णन किया इन सबके आपस में जो योग बनते है और दशाओं का ज्ञान से मनुष्य अपने भविष्य में शुभ अशुभ देखने की कौशिश करता है.
उसी अन्तरिक्ष विज्ञान के अनुसार हमारा अन्तरिक्ष 12 भागों में विभाजित कर प्रत्येक भाग को 30 डिग्री का मान कर उसमें नक्षतों का मान निश्चित किया तथा उन 12 भागों को अलग अलग नाम से प्रतिष्ठित किया गया,
आज हम पांचवें भाग के बारें में चर्चा करेंगे जिसे "सिंह राशि " नाम से जानते है.वैदिक ज्योतिष में प्रत्येक राशि का अलग अलग महत्व है, सिंह राशि का विस्तार 120 से 150 अंश का होता है,इस राशि
को अग्नि तत्व राशि की श्रेणी में रखा गया है.
सिंह राशि स्थिर
राशि होती है अर्थात इस राशि के प्रभाव में आने वाला व्यक्ति स्थिर रहता है
उसे जीवन में टिकाव पसंद होता है. इस राशि का स्वामी ग्रह सूर्य है जिसे सभी
ग्रहों में राजा की उपाधि प्राप्त है. सिंह राशि का प्रतीक चिन्ह शेर है और शेर को
भी जंगल का राजा माना गया है.
आपका जन्म अगर सिंह
लग्न में हुआ है तब आप साहस से भरपूर होगें. आप निर्भीक व पराक्रमी व्यक्ति होगें.
प्रतिकूल परिस्थितियों में भी आप आसानी से घबराने वाले व्यक्ति नहीं होते हैं. आप
अपनी संस्था के कुशल संचालक हो सकते हैं अथवा आपको जो भी काम दिया जाएगा उसे आप
बहुत ही खूबसूरती से संचालित करते हैं और कामयाब होते हैं.
सिंह राशि स्थिर स्वभाव
की राशि है इसलिए आपके कार्यों में ठहराव रहेगा और आप बुद्धिमत्तापूर्ण रुप से
निर्णय लेगें. आप जल्दबाजी में कोई काम करना पसंद नहीं करेगें. आप पहले उसके
दूरगमी परिणाम देखेगे फिर आगे बढे़गें.
आपके अंदर नेतृत्व के
सभी गुण मौजूद होगें और आप एक अच्छे लीडर बन सकते हैं. आप अपनी टीम को आगे बढ़ाने
की सभी विशेषताएँ रखते हैं. आप हठीले किस्म के व्यक्ति हो सकते हैं. एक बार जो जिद
ठान ली तो बस ठान ली,
उसे फिर कोई नहीं बदल सकता है. आप अत्यधिक
महत्वाकांक्षाएँ भी रखते हैं और उन्हें पूरा करने का हर भरसक प्रयास भी करते हैं.
आपके अंदर आत्मविश्वास भरा होता है, इसी
कारण आपको कोई आसानी से आपके इरादों से हिला नही सकता है.
सिंह राशि की गिनती
राजसी राशि में की जाती है और इसके स्वामी सूर्य को सभी नौ ग्रहों में राजा की
उपाधि दी गई है,
इसलिए आपके भीतर भी राजनीति में भाग लेने की
इच्छा रहती है और मौका मिलते ही आप किसी ना किसी संस्था के सदस्य बनने के लिए
चुनाव में भाग ले भी लेते हैं.
सिंह लग्न के लिए कौण
से ग्रह शुभ हो सकते हैं आइए उनके बारे में चर्चा करते हैं. इस लग्न के लिए सूर्य
लग्नेश होकर अति शुभ बन जाता है. सिंह लग्न के लिए दूसरा शुभ ग्रह बृहस्पति होता
है. बृहस्पति पंचम भाव के स्वामी होते हैं जो कि सदा शुभ होता है. हालांकि
बृहस्पति की मीन राशि अष्टम भाव में पड़ती है लेकिन तब भी इसे शुभ ही माना गया है.
बृहस्पति की मूल
त्रिकोण राशि धनु,
त्रिकोण स्थान, पंचम में पड़ती है, इसलिए यह ग्रह शुभ ही माना गया है. मंगल इस लग्न के
लिए योगकारी होने से शुभफलदायी होते हैं क्योकि मंगल चतुर्थ व नवम भाव के स्वामी
होते हैं.
चतुर्थ भाव केन्द्र्
माना गया है और नवम भाव त्रिकोण माना गया है. इसलिए मंगल केन्द्र्/त्रिकोण के स्वामी
होकर अत्यधिक शुभ बन जाते है.
सिंह लग्न के लिए कौन
से ग्रह अशुभ फल देने की क्षमता रखते हैं, अब
उनके बारे में जानने का प्रयास करते हैं. सिंह लग्न के लिए शुक्र तीसरे व दशम भाव
का स्वामी होकर सम बन जाता है.
सिंह लग्न के लिए शनि
छठे व सातवें के स्वामी होकर अति अशुभ बन जाते हैं. चंद्रमा द्वादश भाव के स्वामी
होकर अशुभ होते हैं. द्वादश भाव को व्यय भाव के रुप में भी देखा जाता है. बुध इस
लग्न के लिए धनेश व लाभेश होते हैं अर्थात दूसरे व एकादश भाव के स्वामी होते हैं.
बुध इस लग्न के लिए दूसरे भाव के स्वामी होकर मारक बन जाते हैं और साथ ही त्रिषडाय
भाव के स्वामी भी होने से और अशुभ हो जाते हैं.अंत में सिंह लग्न के
लिए शुभ रत्नों की चर्चा भी कर ही लेते हैं. सिंह लग्न होने से आपके लिए माणिक्य
शुभ रत्न है क्योकि आपके लग्न का स्वामी सूर्य है और माणिक्य सूर्य के अधिकार में
आता है.
आपके लिए पुखराज व
मूंगा धारण करना भी शुभ है. पुखराज आप बृहस्पति के लिए पहन सकते हैं और मूंगा आप
मंगल के लिए धारण कर सकते हैं. आप चाहे तो इन रत्नों का उपरत्न भी पहन सकते हैं.
जन्म कुंडली में जिस
ग्रह की दशा चल रही हो उससे संबंधित मंत्र जाप भी आपको अवश्य करने चाहिए. कुंडली
में अशुभ ग्रह से संबंधित ग्रह की दशा में आप दानादि भी कर सकते हैं और अशुभ ग्रह
से संबंधित वस्तुओ से स्नान भी कर सकते हैं.
शुभमस्तु !!