“भारतीय संस्कृति में “तिलक” का महतवपूर्ण स्थान है, बिना तिलक के कोई भी कार्य शुरू
नही होता. बिना तिलक के रस्मों रिवाज भी नही होते है, अतः तिलक का महत्व इतना
ज्यादा है कि इसके बिना विवाह आदि मंगल कार्य भी सफल नही होतें है”..
तिलक से ही धर्म की पहचान होती है, कोई भी नया कार्य श्री गणेश जी की पूजा तथा
तिलक के बिना संभव नही है, क्योंकि तिलक में एक ऐसी शक्ति कहो या ऊर्जा हैं जिसके
द्वारा ब्रह्माण्ड स्थित सभी ग्रह वशीभूत रहते है तथा उसी ऊर्जा से सभी नर नारी भी
वशीभूत होती है, वशीकरण कर्म में भी तिलक का बहुत योगदान रहता है इसके विषय में
अलग से चर्चा करूंगा,
तिलक से मन और दिमाग का भी सम्बन्ध बना रहता है क्यों कि तिलक
लगाने से मन शान्ति अनुभव करता है, तिलक लगाने से शरीर में एक विशेष ऊर्जा बस जाती
है जिसके द्वारा दिन भर आलस्य दूर हो कर मन उत्साहित रहता है. अतः तिलक भारतवर्ष
में एक अनुष्ठान की तरह प्रयोग किया जाता है.ये आज से नहीं, बल्कि प्राचीन काल से
हमारे पूज्य ऋषि मुनियों ने तिलक के अत्यंत महत्वपूर्ण प्रयोगों को हम सब के समक्ष
रखा है.
तिलक से भाग्य भी बदला जाता है.क्योंकि भाग्य वृद्धि करने वाले ग्रह ही है
और तिलक उन अशुभ ग्रहों के फलों को शुभ बनाने में सहायक है,
तिलक के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी लिख रहा हूँ इसे अपना कर आप यदि नियमित
रूप से तिलक करते है तो आप जैसा भाग्यशाली और कौन होगा अर्थात आपका भाग्य उदय होकर
आपको सुख समृद्धि प्रदान करेगा, श्रद्धा और विश्वास द्वारा किया गया तिलक आपके सुख
के लिए एक अच्छा सरल साधन बन सकता है.
सबसे पहले तिलक अपने इष्टदेव, गुरुदेव और फिर अपने पितृ के चित्र पर लगाना
चाहियें. इनके बाद अपने मस्तक पर विधि अनुसार तिलक करें जिसका वर्णन अब करने वाला
हूँ.
प्रतिदिन स्नान आदि से निवृत होकर तिलक लगाना चाहिए, कभी भूल कर भी बिना स्नान
किये तिलक नही लगाना चाहिए, ऐसा अशुभ होता है.
आप अनामिका उंगली से देवताओं को तिलक करें तथा मनुष्यों को अनामिका तथा अंगूठे
के योग से तिलक करना चहिये,
तिलक लगाने के बाद नींद नही लेनी चाहिए अर्थात कम से कम तीन घंटे तक नही सोना
चाहियें,
चन्दन का तिलक लगाने से एकाग्रता बढती है, विद्यार्थी चन्दन का तिलक लगा कर
शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते है.
कुंकुम और चावल का तिलक लगाने से आकर्षण बढ़ता है. और आलस्य भी समाप्त कर देता
है.
केसर का तिलक प्रसिद्धि और यश को बढाता है, इसके द्वारा जो काम रुके हुए है वो
भी जल्दी पूरे होने लगते है.
गोरोचन का तिलक लगाने से मुकद्दमें आदि तथा शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है.
अष्टगंध का तिलक बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, इसके द्वारा सभी प्रकार का
ज्ञान तथा भेद मिलता है और सभी कार्य बिना बाधा के पूरे होते है.
सूर्य: आप अनामिका के साथ लाल चंदन का तिलक कर सकते
हैं.
चांद: आप छोटी उंगली के साथ सफेद चंदन का तिलक कर
सकते हैं.
मंगल ग्रह: आप अनामिका के साथ नारंगी सिंदूर का तिलक
कर सकते हैं.
बुध: आप अनामिका के साथ अष्टगंध Asthgandha तिलक कर सकते हैं.
बृहस्पति: आप तर्जनी के साथ केसर का तिलक कर सकते
हैं.
शुक्र: आप अनामिका के साथ चावल और अक्षत का तिलक कर
सकते हैं.
शनि, राहु-केतु: आप तीन उंगलियों के साथ भस्म या अगरबत्ती की भस्म या विभूति का तिलक कर सकते हैं..
आकर्षण के लिए:-
एक ताम्बें का बर्तन लेकर उसमें थोड़े से अखंडित चावल
डाल कर उसमें थोड़ा गुलाब जल मिला कर पीस कर पेस्ट की तरह बना लें, तत्पश्चात उस
पेस्ट का तिलक भगवान श्री कृष्णः जी को करें तदुपरांत स्वयं करें इससे आप में आकर्षण शक्ति की वृद्धि होने
लगेगी ऐसा प्रतिदिन नियमित करें तो जल्दी फल मिलेगा.इस तिलक करने वालों को
मांसाहारी नही होना चाहिए, तथा मदिरा का सेवन भी नही करना चाहिए.
विजय प्राप्त करने लिए :-
लाल चन्दन लेकर उसे किसी पत्थर पर घिस कर किसी चांदी
की कटोरी में रख कर माँ दुर्गा देवी के सामने रखें तथा “ॐ दुं दुर्गाये नमः” मंत्र का 27 बार जाप
श्रद्धा से करें, जाप के बाद यदि आप पुरुष हो तो ये चन्दन माँ दुर्गा के चरणों में
लगाये यदि महिला हो तो माँ दुर्गा के माथे में लगायें, माँ दुर्गा को तिलक लगाने
के बाद अपने माथे पर तथा सिर में चोटी के स्थान पर और अपने दोनों कन्धों पर लगाने
से प्रत्येक क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है, ऐसा लगातार करें..
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