Friday, April 29, 2016

मकर लग्न में शुभ अशुभ योग विचार.....

ज्योतिष शास्त्र में मनुष्य के जीवन की समस्त घटनाओं को जानने  के लिए हमारे ऋषि मुनियों ने तप और साधना कर जन्म कुंडली का साधन दिया उस जन्म कुंडली में नौ ग्रह, बारह राशियाँ तथा सत्ताईस नक्षत्रों का वर्णन किया इन सबके आपस में जो योग बनते है और दशाओं का ज्ञान से मनुष्य अपने भविष्य में शुभ अशुभ देखने की कौशिश करता है.

उसी अन्तरिक्ष विज्ञान के अनुसार हमारा अन्तरिक्ष 12 भागों में विभाजित कर प्रत्येक भाग को 30 डिग्री का मान कर उसमें नक्षतों का मान निश्चित किया तथा उन 12 भागों को अलग अलग नाम से प्रतिष्ठित किया गया,

आज हम दशम भाग के बारें में चर्चा करेंगे जिसे "मकर राशि " नाम से जानते है.वैदिक ज्योतिष में प्रत्येक राशि का अलग अलग महत्व है, मकर राशि का विस्तार 270 से 300 अंश का होता है,मकर राशि का स्वामी ग्रह शनि महाराज है. मकर राशि में मंगल उच्च और गुरु नीच का होता है.


इस राशि को चर राशि की श्रेणी में रखा गया है. इस कारण इस राशि के लग्न में आने के प्रभाव से व्यक्ति कभी भी एक स्थान पर टिककर नही बैठता है. इस राशि की गणना पृथ्वी तत्व राशियों में की जाती है.
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मकर लग्न होने आपकी कुछ विशेषताओं के बारे में बताने का प्रयास करते हैं. मकर लग्न के प्रभाव से आपकी आँखे बहुत सुंदर होती हैं. आपका मुख मगरके समान पतला, लंबा व सुंदर होता है.
इस लग्न के प्रभाव से आपकी स्मरण शक्ति अदभुत होती है. आप विवेकशील व दृढ़ निश्चयी व्यक्ति हैं. अपनी विवेकशीलता के आधार पर ही निर्णय लेते हैं और जो एक बार निर्णय ले लिया तब उसी पर ही दृढ़ भी रहते हैं.
सामाजिक विषयो से आप पीछे हटते हैं लेकिन आप व्यवहारिक व्यक्ति होते हैं. आपको हवाई किले बनाना अच्छा नहीं लगता है. आप परिस्थितियों के अनुसार समझौता करने में प्रवीण होते हैं. यह आपका एक बहुत गुण होता है.
आपको मकर लग्न के लिए शुभ रत्नो के बारे में बताएँ. आपका लग्न मकर होने से शनि लग्नेश होकर शुभ होता है और नीलम इसके लिए अनुकूल रत्न है. यदि आप नीलम खरीदने में असमर्थ हैं तब आप इसका उपरत्न धारण कर सकते हैं.
इस लग्न के लिए बुध पंचमेश होकर अनुकूल होता है और आप बुध के लिए पन्ना रत्न धारण कर सकते हैं. शुक्र इस लग्न के लिए योगकारक ग्रह होता है, इसलिए डायमंड शुभ रत्न होता है लेकिन आप इसका उपरत्न ओपल या जर्कन भी पहन सकते है.
कुंडली में अशुभ ग्रहों से संबंधित दशा चल रही हो तब ग्रह का मंत्र जाप नियमित रुप से करना चाहिए. इससे अशुभ फलों में कमी आती है. एक बात आपको यह ध्यान रखनी चाहिए कि जो शुभ ग्रह कुंडली में निर्बल अवस्था में स्थित हों उन्हीं का रत्न धारण करना चाहिए.
मकर लग्न होने से आपके लिए शुभ ग्रह कौन से होगें उसके बारे में बताते हैं. शनि ग्रह मकर राशि का स्वामी होता है इसलिए शनि लग्नेश होने से शुभ होता है. मकर लग्न के नवम भाव में कन्या राशि आती है इसलिए बुध त्रिकोण का स्वामी होने से शुभ होता है.
मकर लग्न के लिए शुक्र पंचम व दशम का स्वामी होकर शुभ होता है. पंचम त्रिकोण भाव तो दशम की गिनती केन्द्र स्थान में होती है. इन दोनो भावों का स्वामी होने से शुक्र इस लग्न के लिए योगकारी बन जाता है.
आइए अंत में हम मकर लग्न के लिए अशुभ ग्रहों की बात करते हैं. इस लग्न के लिए बृहस्पति अति अशुभ होते हैं. बृहस्पति बारहवें व तीसरे भाव के स्वामी हो जाते हैं और दोनो ही भावों को शुभ नही माना जाता है.
मंगल भी इस लग्न के लिए कुछ विशेष फल प्रदान करने वाले नहीं होते है. सूर्य इस कुंडली के लिए अष्टमेश होकर शुभ नहीं हैं हालांकि इन्हें अष्टमेश होने का दोष लगता नही है. चंद्रमा इस लग्न के लिए सप्तमेश होने से मारक हो जाते हैं जबकि इन्हें मारक का दोष लगता नहीं है. लेकिन यह जहाँ जाते हैं और जिन ग्रहों के साथ संबंध बनाते हैं, वहाँ मारकत्व का प्रभाव छोड़ देते हैं.

शुभमस्तु !!

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