Wednesday, April 13, 2016

मेष लग्न में शुभ अशुभ ग्रहों का उपाय......



ज्योतिष शास्त्र में मनुष्य के जीवन की समस्त घटनाओं को जान्ने के लिए हमारे ऋषि मिनियों ने तप और साधना कर जन्म कुंडली का साधन दिया उस जन्म कुंडली में नौ ग्रह, बारह राशियाँ तथा सत्ताईस नक्षत्रों का वर्णन किया इन सबके आपस में जो योग बनते है और दशाओं का ज्ञान से मनुष्य अपने भविष्य में शुभ अशुभ देखने की कौशिश करता है.

उसी अन्तरिक्ष विज्ञान के अनुसार हमारा अन्तरिक्ष 12 भागों में विभाजित कर प्रत्येक भाग को 30 डिग्री का मान कर उसमें नक्षतों का मान निश्चित किया तथा उन 12 भागों को अलग अलग नाम से प्रतिष्ठित किया गया, उसी भाग के पहले भाग का नाम "मेष राशि" है.ये अग्नि तत्व  राशि मानी जाती है तथा मेष राशि का स्वामी मंगल है, अश्विनी नक्षत्र के चार चरण तथा भरणी नक्षत्र के चार चरण और कृतिका नक्षत्र का पहला चरण इन नौ चरणों से इसका उद्भव हुआ है

 ये चर स्वभाव वाली है अर्थात मेष राशि वाले सदा चलायमान रहते है एक स्थान पर ज्यादा दिनों तक नही टिक पाते है. इसका चिन्ह "मेढ़ा" है, जो पर्वतों में पाया जाता है, इसलिए इस राशि वालो को पहाड़ी स्थान पसंद होते है, इसका रंग लाल होने  से इनमें अधिक तीव्रता होती है.
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मेष लग्न वाले साहसी और पराक्रमी होते है.नेतृत्व करने की क्षमता होती है तथा अपनी टीम को सुचारू रूप से चलाते है,लेकिन जल्दबाज होते है, कई बार बाद में पछताते है.

मेष लग्न वालों के लिए मंगल ग्रह लग्नेश माना गया है, ये शुभ है तथा मंगल आठवें भाव में स्थित वृश्चिक राशि का स्वामी भी है जो अशुभ भाव है लेकिन  मेष राशि मंगल की मूल त्रिकोण राशि है और केंद्र में होने से मंगल शुभ फल देगा.

सूर्य भी मेष लग्न वालों के लिए शुभ है क्योंकि सूर्य की सिंह राशि पंचम भाव में स्थित है ये एक बहुत अच्छा त्रिकोण मन गया है.

वृहस्पति देव भी मेष लग्न वालों के लिए अत्यंत शुभ है वृहस्पति की मूल त्रिकोण राशि धनु नवं भाव में भाग्य भाव का प्रतिनिधित्व करती है ये सबसे बलि त्रिकोण भी है अतः शुभ फलदायी है.

चन्द्रमा मेष लगन के लिए सम है इसकी राशि चौथे भाव में केंद्र स्थान में है ना शुभ ना अशुभ अर्थात सम फल देने वाला ग्रह है.

मेष लग्न के लिए शुक्र ग्रह अशुभ है दुसरे और सातवें भाव का स्वामी होने से प्रबल मारक बन जाता है इसलिए शुक्र अशुभ फलदायी है.

मेष लग्न वालों के लिए शनि ग्रह अशुभ है, शनि बाधक स्थान का स्वामी होने से अशुभ मन गया है.मेष लग्न चर राशि है अतः चर राशि वालों के लिए ग्यारहवां भाव बाधक का होता है.

मेष लग्न वालों के लिए बुध ग्रह भी अशुभ माना जाता है क्योंकि बुध तीसरे और छठे भाव का स्वामी है,

उपाय:-

मेष लग्न वालों के लिए श्री हनुमान जी की पूजा अत्यंत शुभ है, प्रतिदिन श्री हनुमान चालीसा का पाठ नियमित करने से लाभ मिलेगा, मूंगा, माणिक्य तथा पुखराज धारण करने से भी समस्याएं दूर होंगी.

आदित्य ह्रदय स्तोत्र तथा भगवान सूर्य की पूजा और जल देने से यश मान की वृद्धि होगी.

श्री विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करने से भाग्य की वृद्धि हो कर संतान आदि सभी सुख प्राप्त होने लग जायेंगे.

जन्म कुंडली अनुसार जिस ग्रह की महादशा, अन्तर्दशा आदि चल रही हो उस ग्रहों का जाप और दान भी अवश्य करें.

शुभ ग्रह यदि अशुभ ग्रहों के नक्षत्र या भाव में स्थित हो तो सावधानी रखें. किसी विद्वान ज्योतिषी द्वारा परामर्श लेने के बाद ही उपाय का विचार करें.

शुभमस्तु !!


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